झारखंड सरकार ने राज्य के किसानों, पशुपालकों, विधवाओं और निःशक्त व्यक्तियों की आय बढ़ाने और उन्हें सशक्त बनाने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना की शुरुआत की है। इस महत्वाकांक्षी योजना के तहत पशुपालन व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न घटकों पर 50% से लेकर 90% तक की सब्सिडी/अनुदान का प्रावधान है। इसका लक्ष्य ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा करना और राज्य को दूध, मांस और अंडों के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाना है।
मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना: संक्षिप्त विवरण
| विवरण | जानकारी |
| योजना का नाम | मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना (Mukhyamantri Pashudhan Vikas Yojana) |
| राज्य | झारखंड |
| किसके द्वारा शुरू की गई | झारखंड सरकार, कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग |
| मुख्य उद्देश्य | पशुपालन को बढ़ावा देना और ग्रामीण आय में वृद्धि करना |
| बजट | लगभग ₹660 करोड़ (योजना के शुरुआती वर्षों में) |
| लाभार्थी | झारखंड के किसान, पशुपालक, विधवा, निःशक्त व्यक्ति, महिला स्वयं सहायता समूह |
| मिलने वाला लाभ | पशुधन खरीद (गाय, बकरी, सूअर, बत्तख), पशुशाला निर्माण, पशु बीमा पर सब्सिडी/अनुदान |
| अनुदान दर | 50% से लेकर 90% तक (श्रेणी और योजनानुसार) |
| आवेदन प्रक्रिया | ऑफलाइन |
| नोडल विभाग | गव्य विकास निदेशालय, कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग, झारखंड सरकार |
यह भी पढ़ें:
झारखण्ड मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना क्या है?
मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना झारखंड सरकार द्वारा वर्ष 2021 में शुरू की गई एक प्रमुख योजना है। इसका मुख्य फोकस ग्रामीण आजीविका को सशक्त बनाना है। यह योजना किसानों और पशुपालकों को उन्नत नस्ल के पशुधन (जैसे दुधारू गाय, बकरी, सूअर, मुर्गी/बत्तख) को खरीदने, उनके आवास (पशुशाला निर्माण) और उनके स्वास्थ्य/देखभाल (टीकाकरण, आहार, बीमा) के लिए भारी अनुदान प्रदान करती है।
इस योजना के माध्यम से, सरकार पशुपालन को केवल जीवनयापन का साधन न मानकर, इसे एक स्थायी और लाभकारी व्यवसाय के रूप में स्थापित करना चाहती है। यह विशेष रूप से छोटे और सीमांत किसानों, महिलाओं, और वंचित वर्गों को कम पूंजी निवेश में अधिक लाभ कमाने का अवसर देती है।
पशुधन विकास योजना का मुख्य उद्देश्य और लाभ क्या हैं?
मुख्य उद्देश्य
राज्य में दूध, मांस और अंडों के उत्पादन को बढ़ाकर राज्य को आत्मनिर्भर बनाना।
पशुपालन को एक व्यवसायिक रूप देकर किसानों और पशुपालकों की आय में वृद्धि करना और उनके जीवन स्तर में सुधार लाना।
ग्रामीण क्षेत्रों में, खासकर महिलाओं और कमजोर वर्गों के लिए, पशुपालन के माध्यम से नए रोजगार के अवसर पैदा करना।
पशुपालकों को संकर/उन्नत नस्ल के पशु उपलब्ध कराना ताकि उनकी उत्पादकता में सुधार हो सके।
योजना के अंतर्गत मिलने वाले लाभ
दुधारू गाय वितरण:
2 दुधारू गाय खरीदने की परियोजना पर सामान्य वर्ग को 50% तक सब्सिडी मिलती है।
5 या 10 दुधारू गाय खरीदने की परियोजना पर सामान्य वर्ग को 25% और अनुसूचित जाति/जनजाति तथा दुग्ध सहकारी समितियों को 33.33% तक सब्सिडी मिलती है।
लाभार्थी को पहली गाय मिलने के छह माह के अंतराल पर दूसरी गाय उपलब्ध कराई जाती है।
बकरी, सूअर और बत्तख पालन पर अनुदान:
बकरी पालन (उच्च नस्ल के 4 मादा एवं 1 नर बकरे का वितरण) पर 75% से 90% तक अनुदान मिलता है। कुछ योजनाओं में 100% तक अनुदान का भी उल्लेख है।
सूअर पालन (उच्च नस्ल के 4 मादा एवं 1 नर सूअर का वितरण) पर 75% से 90% तक अनुदान। कुछ योजनाओं में 100% तक अनुदान का भी उल्लेख है।
बत्तख चूजा पालन (15 बत्तख प्रति लाभुक) पर 75% से 100% तक अनुदान का प्रावधान है।
पशुशाला/उपकरण पर सहायता:
पशुशाला निर्माण, गाय बीमा और हस्त चलित चैफ कटर जैसे पशुपालन संबंधित उपकरण के लिए भी सब्सिडी प्रदान की जाती है।
योजना के तहत दिए गए पशुओं का 3 साल का बीमा भी कराया जाता है।
मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना के लिए पात्रता और आवश्यक दस्तावेज
पात्रता की शर्तें
आवेदक झारखंड राज्य का मूलनिवासी होना चाहिए।
आवेदक का किसान या पशुपालन गतिविधि से जुड़ा होना आवश्यक है, तथा पशुपालन में रुचि होना चाहिए।
विशेष वर्ग को प्राथमिकता:
- महिला किसान (विधवा, निशक्त) को 90% तक अनुदान मिलता है।
- अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) के लाभार्थियों को प्राथमिकता दी जाती है और उन्हें 75% से 90% तक अनुदान मिल सकता है।
- स्वयं सहायता समूह (SHG) से जुड़े सदस्यों को भी 75% तक अनुदान मिल सकता है।
- गरीबी रेखा से ऊपर (APL) और नीचे (BPL) के सभी श्रेणी के लोग पात्र हैं।
आवेदक के पास गाय/भैंस पालन के लिए पर्याप्त स्थान, पानी और अन्य सुविधाएं उपलब्ध होनी चाहिए।
आवश्यक दस्तावेज
- मूल निवास प्रमाण पत्र (डोमिसाइल सर्टिफिकेट)
- आधार कार्ड
- राशन कार्ड
- बैंक खाता विवरण (बैंक पासबुक की फोटोकॉपी, IFSC कोड सहित)
- पासपोर्ट साइज़ फोटो
- जाति प्रमाण पत्र (SC/ST/OBC वर्ग के लिए)
- विकलांग/दिव्यांग प्रमाण पत्र (यदि लागू हो)
- विधवा प्रमाण पत्र (यदि लागू हो)
- भूमि संबंधी दस्तावेज (पशुशाला निर्माण हेतु स्थल/भूखण्ड की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए)
- मोबाइल नंबर
पशुधन विकास योजना: आवेदन प्रक्रिया, स्टेटस और महत्वपूर्ण लिंक
आवेदन करने की प्रक्रिया
मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना के तहत लाभ प्राप्त करने के लिए आवेदन की प्रक्रिया मुख्य रूप से ऑफलाइन है।
स्टेप-1: आवेदक अपने नज़दीकी पशुपालन विभाग कार्यालय, जिला पशुपालन अधिकारी कार्यालय या प्रखंड (ब्लॉक) कार्यालय/पंचायत भवन पर जाएँ।
स्टेप-2: संबंधित कार्यालय से मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना का पंजीकरण फॉर्म/आवेदन पत्र प्राप्त करें। यह फॉर्म आमतौर पर निशुल्क होता है।

स्टेप-3: फॉर्म में पूछी गई सभी जानकारी (नाम, पता, योजना का प्रकार आदि) को ध्यानपूर्वक और सही ढंग से भरें।
स्टेप-4: सभी आवश्यक दस्तावेजों की फोटोकॉपी को फॉर्म के साथ संलग्न करें और सुनिश्चित करें कि सभी जानकारी स्व-सत्यापित (Self-Attested) है।
स्टेप-5: भरा हुआ फॉर्म और सभी संलग्न दस्तावेज उसी कार्यालय में जमा करें और जमा करने की रसीद अवश्य प्राप्त करें।
स्टेप-6: कार्यालय द्वारा आपके आवेदन की जाँच और सत्यापन किया जाएगा। पात्र पाए जाने पर, लाभार्थी का चयन किया जाएगा और उन्हें योजना का लाभ (पशुधन, सब्सिडी) सीधे उनके बैंक खाते में या पशुधन वितरण के माध्यम से प्रदान किया जाएगा।
आवेदन की स्थिति कैसे चेक करें?
वर्तमान में, मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना के आवेदन की स्थिति जानने के लिए कोई केंद्रीकृत ऑनलाइन पोर्टल उपलब्ध नहीं है।
स्टेटस जानने के लिए: आवेदक को अपने संबंधित जिला पशुपालन अधिकारी कार्यालय या प्रखंड (ब्लॉक) कार्यालय से सीधा संपर्क करना होगा, जहाँ उन्होंने आवेदन जमा किया था।
कई जिलों में, चयनित लाभुकों की सूची संबंधित जिला प्रशासन की आधिकारिक वेबसाइट (जैसे seraikela.nic.in पर) के नोटिस या सूचना अनुभाग में प्रकाशित की जाती है, जिसे आप देख सकते हैं।
आवेदन के लिए महत्वपूर्ण लिंक (Important Links)
संपर्क करने का विवरण (Contact Details)
योजना से संबंधित विस्तृत जानकारी या किसी भी सहायता के लिए आप निम्नलिखित से संपर्क कर सकते हैं:
गव्य विकास निदेशालय (Dairy Development Directorate), झारखंड:
- पता: कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग, झारखंड सरकार
जिला/प्रखंड पशुपालन अधिकारी: अपने क्षेत्र के जिला पशुपालन अधिकारी या प्रखंड पशुपालन अधिकारी से संपर्क करें।
झारखंड कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग हेल्पलाइन:
- फ़ोन नंबर: 0651-2401040, 0651-2401067
- ई-मेल: [email protected]
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों (FAQs)
Q1: क्या यह योजना केवल दुधारू पशुओं के लिए है?
उत्तर: नहीं। इस योजना में दुधारू गाय के साथ-साथ बकरी, सूअर, मुर्गी और बत्तख पालन जैसी विभिन्न पशुधन गतिविधियों के लिए भी अनुदान प्रदान किया जाता है।
Q2: क्या सामान्य वर्ग के किसानों को भी सब्सिडी मिलती है?
उत्तर: हाँ, सामान्य वर्ग के किसानों को भी योजना के विभिन्न घटकों पर 50% तक सब्सिडी मिलती है। 5 या 10 गायों की परियोजना में यह 25% तक होती है, जबकि विशेष वर्ग (SC/ST/विधवा/दिव्यांग) को 90% तक सब्सिडी मिलती है।
Q3: गाय खरीदने पर बीमा का प्रावधान क्या है?
उत्तर: योजना के तहत वितरित किए गए पशुओं का तीन साल का बीमा विभाग द्वारा कराया जाता है, जिससे प्राकृतिक आपदा या दुर्घटना की स्थिति में पशुपालक को आर्थिक सुरक्षा मिल सके।
Q4: आवेदन करने के लिए न्यूनतम आयु क्या है?
उत्तर: आधिकारिक दिशा-निर्देशों में आयु का स्पष्ट उल्लेख नहीं है, लेकिन 50 वर्ष से अधिक उम्र के निःसंतान दंपति को भी लाभ दिया जाता है। सामान्यतः, आवेदक को वयस्क (18 वर्ष से अधिक) होना चाहिए।
निष्कर्ष
मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना झारखंड राज्य की एक महत्वपूर्ण कड़ी है जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का संकल्प रखती है। यह योजना न केवल किसानों की आय बढ़ाने में सहायक है बल्कि पशुपालन को एक स्थायी और स्वावलंबी व्यवसाय बनाने का अवसर भी प्रदान करती है। 90% तक के अनुदान के साथ, यह विशेष रूप से कमजोर और वंचित वर्गों के लिए बड़ा आर्थिक संबल है। इच्छुक लाभार्थियों को इस योजना का लाभ उठाने के लिए तुरंत अपने नजदीकी पशुपालन कार्यालय से संपर्क करना चाहिए।


